कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने आखिर वह बात कबुल ही ली जिसे उनकी पार्टी लगातार नकारते आई है। खुर्शीद ने कांग्रेस को उसका वह दामन दिखा दिया जिससे वह कभी छुटकारा नहीं पा सकती। यह दीगर बात है, कि खुर्शीद ने कांग्रेस के दामन पर सिर्फ मुस्लिमों के खून के धब्बे होने की बात कही थी, जबकि सच यह है, कि उसका दामन मुस्लिम, हिंदू, सिक्ख ऐसे सभी जातियों और प्रांतों के लोगों के खून से सना है।
अपने दामन पर मुसलमानों के "खून के धब्बे" होने की बात कहकर खुर्शीद ने कांग्रेस को सकते में डाल दिया था। रविवार को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के डॉ. बीआर आंबेडकर हॉल में उन्होंने यह बात कही थी। और तबसे कांग्रेस बगलें झांक रही है। उनकी बात से पार्टी नेताओं के कान खड़े हो गए। कार्यकर्ताओं (बचे-खुचे) को काटो तो खून नहीं!
"1947 मे स्वतंत्रता के बाद हाशिमपुरा, मलियाना, मेरठ, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, भागलपुर, अलीगढ़, बाबरी मस्जिद आदि में मुसलमानों के नरसंहार में कांग्रेस पर मुसलमानों के खून के जो इतने सारे धब्बे हैं इनको आप किन शब्दों से धोना चाहेंगे," खुर्शीद से यह सवाल पूछा था एएमयू के एक निलंबित छात्र आमिर मिंटोई ने।
इस पर खुर्शीद ने कहा, ‘‘यह राजनीतिक सवाल है। हमारे दामन पर खून के धब्बे हैं। कांग्रेस का मैं भी हिस्सा हूं तो मुझे मानने दीजिये कि हमारे दामन पर खून के धब्बे हैं। क्या आप यह कहना चाहते हैं कि चूंकि हमारे दामन पर खून के धब्बे लगे हुए हैं, इसलिए हमें आपके ऊपर होने वाले वार को आगे बढ़कर नहीं रोकना चहिए?‘‘
कांग्रेस प्रवक्ता पी. एल. पुनिया ने कहा है, कि कांग्रेस पार्टी सलमान खुर्शीद के बयान से पूरी तरह अलग करती है। सलमान खुर्शीद पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन जो बयान उन्होंने दिया है उससे कांग्रेस की असहमति है।
आखिर कांग्रेस ऐसे कितने मामलों से पल्लू झाड़ते रहेगी? आजादी से पहले और आजादी के बाद भी कांग्रेस ने हर वर्ग विशेष को लक्ष्यित करते हुए अत्याचार किए है। कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसने समाज के सभी वर्गों और लोगों को एकसमान प्रताडित किया है। शुरूआत तो बंटवारे के साथ ही हुई थी। उस वक्त पाकिस्तान से आए हिंदुओं को प्रताडित किया गया। अकेले महाराष्ट्र में ही ऐसी कई घटनाएं गिनाई जा सकती है।
उसके बाद महात्मा गांधी की हत्या के बाद आक्रोश के नाम पर कांग्रेसियों ने महाराष्ट्र में ब्राह्मणों पर अत्याचार किए। उनके घर फूंके, उन्हें अपने निवास और गांव से बेदखल किया। आलम यह है, कि पश्चिम महाराष्ट्र में आपको कई देहात ऐसे मिलेंगे जिनमें ब्राह्मण नहीं है। क्योंकि कांग्रेसियों के डर से समय ब्राह्मणों का बड़ी संख्या में पलायन हुआ। मान लिजिए, कि 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में जो हुआ उसका वह पहला प्रयोग था।
What I said I will continue to say, I made the statement as a human being: Salman Khurshid, Senior Congress leader on his statement 'Congress has blood on its hands' pic.twitter.com/Q0FjOcWa2q
— ANI (@ANI) April 24, 2018
लगभग एक दशक बाद यही कांग्रेस सरकार थी जिसने संयुक्त महाराष्ट्र के लिए आंदोलन करनवाले बेकसूर लोगों पर गोलियां बरसाई। उस आंदोलन में मोरारजी देसाई के नेतृत्व में सरकार ने पूरा बलप्रयोग किया और 105 लोगों की जानें ली। ये लोग कौन थे? ये हर वर्ग, हर जाति के लोग थे।
इसी कांग्रेस के लोगों ने मराठवाडा में नामांतरण आंदोलन के नाम पर दलितों पर अत्याचार किए। तत्कालीन मराठवाडा विश्वविद्यालय का नाम बदलकर डा. बाबासाहब आंबेडकर विश्वविद्यालय करने की मांग दलित गुटों ने की थी। इसका विरोध करनेवाले गुटों में हालांकि शिवसेना जैसी पार्टियां भी ती लेकिन उनमें कांग्रेसी लोग अधिकतर थे। गांव-देहातों के दलितों का खून बहाया गया, कई जगहों पर सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ।
छिटपुट दंगों और झड़पों का तो जिक्र न करें तो ही बेहतर है। कांग्रेस ने किस-किसको अपना विरोधी नहीं बनाया? क्या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हिंदूओं को "भगवा आतंकी" नहीं बताया था? क्या कांग्रेस ने कश्मीर से पंडितों के निष्कासन को मौन संमति नहीं दी? क्या कांग्रेस ने श्रीलंका के तमिल गुटों को पहले सहयोग देकर फिर उनसे किनारा नहीं किया? क्या कांग्रेस ने सिक्खों के अलगाववाद को चिंगारी देकर फिर उसे बुझाने की कोशिश नहीं की।
तो यह दामन खून ही खून से लथपथ पड़ा है। यह धब्बे ऐसे धुलनेवाले नहीं है, क्योंकि आप एक सिरो पर धोने की कोशिश करते हो तो दामन का दूसरा सिरा खून से और रंग जाता है। समझ लिजिए खुर्शीद साहब!
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